One Side Story of Social Site's Life's (Part - 1)
एक लड़का था अनजाना सा टेक्नोलॉजी में रहता था उसका दिमाग।
अपने जीवन की शुरुआत अपने ही इलाके के साइबर कैफे से शुरू करी। लेकिन ये क्या सोशल साइट्स की चैटिंग से रहा कोसों दूर, क्योंकि उसके पास कोई ऐसी वस्तु नहीं थी जिससे वे सोशल साइट्स की चैटिंग को समझ सके, उसे ये पता था कि Facebook, Twitter, Gmail, Instagram, Whatsapp आदि है और कैसे प्रयोग करना है, लेकिन उसके पास कंप्युटर, लैपटॉप और ना ही कोई स्मार्ट फोन था। लड़का बस कंप्युटर की सारी ऑनलाइन Knowledge रखता था।
ये कहानी शुरू हुई दिसम्बर - 2014 से, लड़का शुरू से एक ही साइबर कैफे पर जाया करता था। जिससे उसे काफी कुछ सीखने को मिला और सम्भालने भी लगा था। कुछ साल गुजरने के बाद, एक दिन अपने रिजल्ट के सिलसिले में किसी अलग या दूसरे के ऑनलाइन शॉप (साइबर कैफे) गया, देर शाम का समय था। उसने वहा कंप्युटर सर्विस के लिए भी कम्प्यूटर का भी प्रयोग किया। कुछ देर बाद ही कुछ बच्चे अपना काम करवाने आए और कंप्युटर शॉप के मालिक के साथ बात कर रहे थे कि हमे भी कंप्युटर सीखा दो, कंप्युटर क्लास शुरू कर रहे होंगे लेकिन कोई पढ़ाने वाला व्यक्ती नहीं था। तब उस लड़के ने बीच में बोल दिया कि मैं आ जाता हूँ, मुझे आता है कंप्युटर के बारे में बेसिक्स से लेकर एक साल तक का सारा कोर्स, और घर में ही हू काफी सालों से, तभी से वो लड़का कंप्युटर क्लास का टीचर बन गया और वही रहकर अपने दिमाग को स्मार्ट करने लगा। धीरे-धीरे बच्चों के साथ लड़का अपने दिमाग को एक मास्टर माइंड में कन्वर्ट करने लगा था उसे हमेशा ये डर रहता की पता नहीं बच्चे क्या पूछ ले इसलिए लड़का हमेशा YouTube पर Basically Knowledge को ही Read करने लगता था। वक़्त गुज़रता गया इन्टरनेट की क्लास वाले दिनों में बच्चों के साथ Facebook प्रयोग करने लगा अब जब कंप्युटर है तो बस पोस्टिंग ही देखा करता था।
लड़का घर पर ही ज्यादा रहता था और बस घर का सारा काम करने के बाद कंप्युटर क्लास कराने जाता था और दोपहर को वापस आकर शाम को कंप्युटर क्लास कराने जाता था। कंप्युटर क्लास खत्म कराने के बाद ही देर रात तक कैफे शॉप को भी देखता और काम करता था ताकि और Knowledge मिल सके। मगर अपने इसी काम के कारण अपने पुराने साइबर कैफे पर नहीं जा पाता था।
ऐसा होते होते एक साल गुजर चुका था 2015 सर्दियों का समय था बच्चे भी पुराने जाते रहे, नए आने लगे जब भी इन्टरनेट की क्लास होती थी तो बच्चे इन्टरनेट में माहिर थे इसलिए लड़के ने चैटिंग की साइट्स को भी समझने लगा। लड़का सोचने लगा कि आज-कल के बच्चे इतने बड़े पैमाने पर पहुंच गए है कि Facebook, Instagram को खेल की तरह प्रयोग करने लगे।
2015 से पहले तब लड़का Gmail, Yahoo to अच्छे से चलाता था लेकिन Facebook को अपनी पहचान को छुपाकर प्रयोग करता था, छुपाकर मतलब अपनी कोई पोस्ट ना डालना और ना एक भी कोई अपनी फोटो नहीं क्योंकि ना लड़के के पास स्मार्ट फोन था ना कोई कैमरा था। हाँ लेकिन एक छोटा फोन रखने लगा था जिसे हम कहते है मल्टीमीडिया फोन।
जनवरी - 2016 में लड़के ने नई Facebook बनाई जिससे कि लोगों को भी पहचान में आने लगे। तब लड़के ने अपनी पहली पहचान वाली Facebook को अपने छोटे से फोन में भी प्रयोग करने लगा और जिन बच्चों को पढ़ाता है उन्हें भी अपनी I'd पर शामिल कर लिया, जब इन्टरनेट की क्लास होती थी तब बच्चे केवल Facebook ही ज्यादा प्रयोग करते थे लेकिन उनके सर(लड़का) ऑनलाइन वर्क भी समझाता रहता था ताकि बच्चों को अपने आने वाले समय में ऑनलाइन वर्क से लेकर बड़े फॉर्म भरने को खुद भरना सीखे। बस 15-20 मिनट तक के समय देकर, Facebook का प्रयोग करने को कहता और उसी समय में बच्चों से ही पता चलता था कि कौन क्या है या Facebook पर किन्हें Friends बनाना सही है। अब लड़के ने धीरे-धीरे अपने Facebook पर आसपास के इलाकों से लेकर सभी लड़कों तक अपनी Facebook पर फ्रेंड के तोर पर क्लिक करके शामिल करने लगा। लेकिन बस लड़के क्योंकि लड़के के पास ज्यादातर बच्चे लड़किया ही कंप्युटर सीखने आया करती थी और कुछ लड़के, बच्चों को वो खुद खासकर लड़कियों को अपनी रियल फोटो डालने से मना करता था, इसलिए लड़के ने कभी भी किसी अनजानी, अजनबी, अनदेखी लड़की को कोई Friends Request Send नहीं करता था। 2016 की गर्मियों की छुट्टियां आ गई। लड़के ने Facebook पर एक दिन अपने फ्रेंड लिस्ट देखी तो देखा कि 90 तक फ्रेंड थे। लड़का बड़ा खुश था कि इलाक़ों के 90 लड़के जानने लगे, क्योकि लड़का हमेशा देखने वालों लड़कों को ही Request Send करता या Accept करता था।
लड़का YouTube पर भी Knowledge लेने लगा और जैसे जैसे दिन गुज़रते गए वैसे वैसे Facebook को समझने लगा और एक दिन छुट्टियां खत्म होने के बाद बच्चों की क्लास भी खत्म हो चुकी थी और आगे की क्लास के लिए कोई भी बच्चे नहीं थे। लेकिन लड़का फिर भी कैफे पर कंप्युटर चलाने के लिए जाया करता था और कैफे पर बैठता था।
अंत में कुछ दिन गुजरने के बाद कंप्युटर क्लास खत्म होने के कुछ दिन बाद लड़के को ये कहकर मना कर दिया कि अब यहा आने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि लड़का पढ़ाता नहीं है और ना ही उससे कोई काम करवाना है, क्योंकि लड़का रात को कैफे पर रुककर काम भी करता रहता था। मगर बस यही सुनने को मिला कि अगर कंप्युटर का प्रयोग करना है तो पैसे देकर ही बैठना जिसका उसे बहुत दुख हुआ। क्योंकि जैसे लड़का पहले से ही जीवन की शुरुआत साइबर कैफे से करी थी तो उस लड़के को पुराने कैफे वाले ने भी ऐसे नहीं कहा और याद करने लगा अपना सारा बिताया हुआ कंप्युटर क्लास से लेकर कैफे को सम्भालने तक का सफर। लड़का एक हफ्ता इस सदमे में रहकर, घर में रहकर काम करता था और छोटे फोन से Facebook का कभी कभी प्रयोग किया करता था। कुछ समय घर में गुजारने के बाद पुराने कैफे गया लेकिन वहां लगभग एक साल बाद जा रहा था, और वहां जाने के बाद भी कुछ नहीं कहा और ना कुछ सुनाया बस ये सुना कि बड़े सालों बाद आया और कहा, याद करते हुए कहा कि बाहर जाकर ही पता चलता है कि दुनिया ऐसी भी होती है। आज भी वो लड़का केवल पुराने कैफे पर ही कभी-कभी जाता रहता है क्योंकि अपना सारा ऑनलाइन आवेदन खुद कर लेता है। लड़के ने फिर धीरे-धीरे अजनबी Friends भी बनाने लगा था कुछ कम से कम अजनबी ल़डकियां भी Facebook पर आ गई थी, और उसने Facebook पर बिजनेस पेज भी Creating करने लगा था और अपने छोटे फोन से फोटो क्लिक करके शेअर करने लगा था। धीरे-धीरे वक़्त गुज़रता गया और Social Site पर एक Lover Poetry करने लगा। Poet of Lover के पीछे भी बहुत बड़ी कहानी है जिसका जिक्र अगले पार्ट (One Side Story of Social Site's Love, Part - 2) में देखने को मिलेगी... 🙂🙂
लेकिन आज के लिए बस यही खत्म करता हूं और अब बता दूँ कि वो लड़का अब काफी बड़ा भी हो गया है और किसी स्कूल में एक प्राइवेट क्लर्क भी है।
लड़के का जीवन आज भी घर में रहना, जॉब करना, कॉलेज जाना और अगर घर में मन ला लगने पर, दिल्ली के किसी भी टूर प्लेस पर कभी अकेले कभी अपनी एक साथी के साथ जाकर मन को हल्का करना। यही जिन्दगी है ✍️ ✍️ ✍️
अब वो धीरे धीरे लेख भी लिखने लगा है और Social Sites का खूब प्रयोग कर, समझने व समझाने का शौक रखने लगा है ✍️ ✍️ ✍️
आशा करता हूं कि आपको यह एक जीवन में कुछ ऐसी परिश्रमिक, समाज और कठिनाइयों को दूर करने का हौसला प्रदान करेगा और आपको अपनी परेशानियों का भी हल खुद को बिजी रखकर करने को सीख प्रदान करेगा।
मैं आप सभी से बस यही कहूँगा कि हमेशा खुश रहिए, अपने जीवनशैली को खुद तय कीजिए, काम करिए लेकिन काम वो करिए जिसमें आपको खुशी मिले, काम वो करिए जिसमें आपके जीवन को आगे बढ़ाने का मोका मिले वो ना करे जिसमें आपका जीवन रुक जाए। इसी के साथ जय हिंद जय भारत 🙏 🙏 🇮🇳 🇮🇳 वंदे मातरम् 🇮🇳 🇮🇳 सत्यमेव जयते 🇮🇳 🇮🇳
📝 📝 Poet of Love ✍️ ✍️ ✍️....... Rajeev Arora Harshvardhan
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