बदलती हमारी दिल्ली (दिल्ली मेरी नजर से)

बदलती हमारी दिल्ली


(हर्ष विहार - नॉर्थ ईस्ट दिल्ली) : मैं पिछले 6 साल से चुप हूं, मैं बड़ो का आदर और सम्मान करता हूं ये मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आज में आपको अपनी आँखों देखी और बीती नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के हर्ष विहार को पूर्ण रूप से ब्यान जारी करने जा रहा हूं....... 

पिछले 6 सालों से अपने यहां रह रहे बढ़ते किरायेदार हैं। इन किरायेदारों में इनके बदमाश बच्चे और नाबालिक बच्चे और खुद मा-बाप कोई ऐसा नहीं जिन्होंने हमारी दिल्ली की गलियों और मोहल्लों का माहौल को खराब न किया हो। 

मैं रोज सुबह घर से अपने स्कूल जाता हूँ और दोपहर को ऑफिस स्कूल से घर आता हूं से लेकर शाम तक यही देखता हूं कि जो मेरे साथ भी होता है कि गली मोहल्लों में आते-जाते लोगों पर - गलियों में बैठना, तमाशों का तांडव करना, शराब पीकर गली-मोहल्लों में अश्लील शब्दों का शोर मचाकर माहौल बिगाड़ना, गलियों में बैठकर ताश-जुआ आदि खेलना, बच्चे-बच्चे नशे आदि का सेवन करना, खुलेआम चोरियाँ करना, गलत व्यवहार, अश्लील गालियाँ आदि का प्रयोग करते है ताकि हम उन्हें कुछ बोले और तभी वो हमारे पर हावी होकर अश्लीलता की गालियो का शुभारंभ कर सके फिर जाकर मकान मालिकों पर हावी होकर गलत भाषा का प्रयोग - "तेरे जैसे लोगों को पैरों के  नीचे रखना, तेरे जैसे पढें लिखो को जान से मारते है हम, बच्चों द्वारा बड़ो पर हाथापाई करना और बच्चों द्वारा ऊंची/तेज आवाज से उल्टा-पुल्टा जवाब देकर (ओए अंकल कुछ नहीं कर पाएगा तू, आए आंटी तेरे साथ बुरा कर दूँगा, आए अंकल ज्यादा बोलेगा या मास्टर्स बनेगा तो यही मार देंगे, ज्यादा पढ़ा लिखा परिवार ना बने हमारे सामने, घर में ही घुसकर मार डाला जाएगा,) गली मोहल्लों में बाइक पर आते जाते लड़कों द्वारा खुल्लम-खुल्ला माँ चो* दी जाएगी, कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता हमारा, जान से मार देंगे कोई बोला तो, हमारी बाइक खरी होगी यहा, तेरे घर के पास भी बाइक, कार खड़ी होगी, घर में रख अपनी बाइक को, हटा यहा से अपनी गाड़ियां" ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है, अगर हटाने को कहो तो..." क्या कोई परेशानी है तेरे को, ना हटाया, चल जाकर काम कर अपना, तू सुधारेगा हमें"। 

यह सिलसिला पिछले 6 सालों से, हफ्ते में 1-2 बार और महीने में, खूनी लड़ाई के इरादों से बच्चों द्वारा दो बार हरकतों से उकसाने का काम करने के तरीकों से यह लोग ऐसा करते है। अगर इसका जवाब दिया जाये या पुलिस को बुलाया जाए तो सारे किराएदार एक होकर मारने-पीटने को हावी होते है और पुलिस को बुलाने पर पुलिसकर्मी द्वारा गली से बाहर बुलाकर, थाने आने को रिपोर्ट दर्ज करने को कहकर, आश्वासन देकर चले जाते है। यानी ऐसे ही इनके हौसले बुलंद है। यही वो लोग होते हैं जो बाहरी लोग दिल्ली की पुलिसकर्मी बनने के सपनों को साकार कर अपनों को बुलाकर, सड़कों पर वारदातों को - चोरियां, छीना-छपती आदि को अंजाम देते आ रहे है और दिल्ली को बदनाम कर रहे है। हर एक बड़े पैमाने से लेकर, निचले पैमाने के अधिकारी और अपराधी। फिर भी हमारी दिल्ली महान और दिलवालों की। 

अब ऐसे सिलसिलेवार गतिविधियों को देखकर मुझे 6 साल गुजर गए, तो मैं चुप नहीं रहूं, तो क्या करूँ ? इन्हीं हरकतों को देखते-देखते मैं पिछले 5 साल से चुप रहा, चुप रहना मेरे संस्कार है, जो मुझे लड़ाई-झगड़े और बड़ो से मुह लगने की आदत नहीं रही, गंदे लोगों को जवाब देना मेरे लिए कभी नहीं रहा... कहते है ना कि "गलत संगति और गंदे माहौल में, अकेले रहना ही बेहतर है" लेकिन अकेले रहना वो भी ऐसे खुंखार किरायेदारों से डरकर रहना, आखिर कब तक चलेगी। जबकि हर शिक्षित व्यक्ति को दबाकर रखना चाहिए ऐसे लोगों को।

"दिल्ली दिल वालों की तो है ही" चंद पैसे और गलत और बाहरी डीलरों द्वारा बाहर से आकर दिल्ली में आओ और गली-मोहल्ले को अपनी हरकतों से खराब कर मकान-मालिकों से लड़ाई झगड़ा करो, ताकि सस्ते दामों में जमीनें हड़पी जा सके, ऐसी खतरनाक सोच है गोकलपुर विधानसभा क्षेत्र के हर्ष विहार जैसे इलाक़ों की और चारो ओर से दिल्ली-यू.पी, हरियाणा आदि बोर्ड इलाक़ों की, जहां शिक्षित परिवार को पैरों की नीचे रखना इनका स्वभाव है। क्योंकि वेरिफिकेशन का नामोनिशान दूर-दूर तक नहीं। 

कृपया दिल्ली में रह रहे खुंखार किरायेदारों, प्लॉट की खरीद आदि की वेरिफिकेशन का मुद्दा होना बेहद जरूरी है। पुलिस एवं प्रशासन द्वारा शक्त आदेश जारी किए जाने जरूरी हैं । इनके काम से लेकर आने की गतिविधियों को शक्ति एवं कठोरता से वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए और शांति से जीवन, सही ढंग से रहने के लिए आश्वासन देने का आदेश जारी किया जाना चाहिए। ताकि काम करने वाले लोगों को माहौल खराब और मकान मालिकों से लड़ाई-झगड़ा करने का मौका न मिले। 


आपका ख़ामोशी, दिल्ली का जन्मी लड़का, दिलवाला (राजीव अरोड़ा हर्षवर्धन) 😏😏😊😊😊


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